सूचना का अधिकार पर विचार गोष्ठी एवं कार्यकर्ता की हत्या पर शोक
दिनांक - २१-०८-२०१०
स्थान - उरई (जालौन)
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दिनांक - २१-०८-२०१०
स्थान - उरई (जालौन)
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सामाजिक कार्यकर्ता तथा सूचना अधिकार का राष्ट्रीय अभियान के निदेशक डॉ0 कुमारेन्द्र सिंह सेंगर के आवास पर एक बैठक का आयोजन किया गया। इसमें नगर के प्रबुद्धजनों तथा विभिन्न सामाजिक संगठनों के लोगों ने भाग लिया। बैठक की अध्यक्षता कर रहे डीवीसी के राजनीति विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ0 आदित्य कुमार ने कहा कि सूचना का अधिकार भ्रष्टाचार को उजागर करने और समाप्त करने का बहुत ही सटीक रास्ता है। समाज को खोखला कर रहा भ्रष्ट तन्त्र इस अधिनियम के कारण भयभीत है। बड़े-छोटे घोटालों को उजागर करने के कारण आर0टी0आई0 कार्यकर्ताओं को धमकाया जा रहा है, उनको प्रताड़ित भी किया जा रहा है, यहाँ तक कि माफियाओं के द्वारा उनकी हत्या भी कर दी जा रही है। अभी हाल में गुजरात में आर0टी0आई कार्यकर्ता अमित जेठवा की हत्या इसी का उदाहरण है। डॉ0 आदित्य कुमार ने आगे कहा कि इससे डरने की आवश्यकता नहीं है। ऐसा वे लोग कर रहे हैं जो किसी न किसी रूप में भ्रष्टाचार के दलदल में फँसे हैं और व्यवस्था को सही राह पर नहीं लाना चाहते हैं। सूचना का अधिकार का सकारात्मक प्रयोग आज नहीं तो कल समाज में से भ्रष्टाचार को समाप्त करने में सहायक सिद्ध होगा।
सूचना अधिकार का राष्ट्रीय अभियान के राष्ट्रीय संयोजक डॉ0 डी0के0 सिंह ने सूचना का अधिकार की क्रियाविधि को बताते हुए जन-जन को इससे परिचित करवाये जाने की आवश्यकता पर बल दिया। उनका कहना था कि इस अधिनियम से भ्रष्टाचारियों की पोल खुलना शुरू हो गई है। अब किसी भी सूचना को अपने पद ही हनक के चलते दबाया नहीं जा सकता है। आम आदमी को इस बात को बताने और समझाने की आवश्यकता है। यदि समाज के सभी लोग सकारात्मक रूप से अपने अधिकार का प्रयोग करते हुए इस अधिनियम के द्वारा सरकारी तन्त्र के बारे में जानकारी प्राप्त करते रहे तो समाज के भ्रष्टजनों के सुधरने में ज्यादा दिन नहीं लगेंगे। उन्होंने आगे कहा कि सूचना का अधिकार की व्यापक पहुँच बनाने के लिए जागरूकता कार्यक्रम करवाये जाने की जरूरत है। यहाँ ध्यातव्य रहे कि डॉ0 डी0के0सिंह ने लगभग 175 आवेदनों के द्वारा कई विभागों के भ्रष्टाचार को उजागर कर भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों को समाज के सामने लाने का कार्य किया है।
सामाजिक संस्था अनुरागिनी के डॉ0 प्रवीण सिंह जादौन का कहना था कि इस अधिनियम के बनने के लगभग पाँच वर्ष के बाद भी अधिकारियों के, जनता के मध्य इस अधिनियम की ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं हो सकी है। इस कारण से सभी लोग अपनी-अपनी तरह की परिभाषाएँ गढ़ते रहते हैं। सूचना का अधिकार के बारे में इस अनभिज्ञता ने अधिकारियों को अभी भी निरंकुश सा कर रखा है। जो जागरूक लोग हैं उनके द्वारा लगातार कार्य करने से समाज में एक सार्थक दिशा दिखाई देनी शुरू हुई है।
डॉ0 कुमारेन्द्र सिंह सेंगर ने अधिनियम पर चर्चा करते हुए कहा कि इसके दायरे में सरकारी संस्थाएँ, वे गैर-सरकारी संस्थाएँ जो शासन से अनुदान ले रहीं हैं तो आतीं ही हैं। इसके साथ ही उन संस्थाओं को भी इसके दायरे में शामिल किया गया है जो किसी न किसी रूप में शासन द्वारा मान्यता प्राप्त हैं, भले ही वे शासन से किसी तरह का अनुदान न ले रहीं हों। समाज का एक बहुत बड़ा हिस्सा सूचना के अधिकार के दायरे में सिमटता है और कार्य करने वालों के द्वारा भ्रष्टाचारियों को समस्या उत्पन्न होने लगी है। इस भय के कारण ही माफिया आर0टी0आई0 कार्यकर्ताओं को धमकाने, मारने का काम करने लगे हैं। अमित जेठवा ने भू माफियाओं को बेनकाब किया तो उन्हें अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।
समाजसेवी संगठन दीपशिखा के शिवराम ने कहा कि शीघ्र ही जनपद के जिलाधिकारी महोदय को एक ज्ञापन सौंपा जायेगा जिसके द्वारा शासन-प्रशासन स्तर पर आर0टी0आई0 कार्यकर्ता के रूप में कार्य कर रहे लोगों की सुरक्षा की व्यवस्था सुनिश्चित किये जाने की माँग की जायेगी। जिले में भ्रष्टाचार को उजागर करने में सूचना अधिकार कारगर रूप से काम कर रहा है और इसके चलते किसी कार्यकर्ता को हम लोग समाज से खोना नहीं चाहते हैं। उन्होंने आगे बताया कि डॉ0 डी0के0 सिंह और डॉ0 कुमारेन्द्र सिंह सेंगर निपसिड, लखनऊ की ओर से आयोजित सूचना का अधिकार सुग्राह्यता पाठ्यक्रम को पूर्ण कर प्रशिक्षित होकर लौटे हैं। शीघ्र ही संस्था की ओर से जिले में जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन कर सरकारी, गैर-सरकारी विभागों, विद्यालयों, महाविद्यालयों, स्वयंसेवी संगठनों, प्रबन्धसमितियों के पदाधिकारियों को सूचना का अधिकार अधिनियम के बारे में जानकारी देते हुए जागरूक करने का कार्य किया जायेगा।
बैठक के अन्त में कार्यकर्ता अमित जेठवा को श्रद्धांजलि स्वरूप दो मिनट का मौन रखा गया। बैठक में संदीप कुमार, देवेन्द्र सिंह, राकेश सिंह, आशीष गुप्ता, लखन श्रीवास्तव आदि भी उपस्थित रहे।
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