दयानन्द वैदिक महाविद्यालय, उरई के राजनीतिक विज्ञान विभाग में नियमित विचार गोष्ठियों का आयोजन होता रहता है। दिनांक-20 अगस्त 2010 को देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्व0 श्री राजीव गाँधी के जन्मदिवस पर विभाग में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।
गोष्ठी की अध्यक्षता रक्षा अध्ययन विभाग के रीडर डॉ0 आर0 के0 निगम ने की। उन्होंने कहा कि राजीव गाँधी देश के विकास के लिए लगातार सचेत रहे। यही कारण है कि उन्होंने अपने सत्ता सँभालते ही देश को विकास के रास्ते पर ले जाने का काम किया। कम्प्यूटर का आना, तकनीक का विकास, उदारीकरण का सफल प्रयोग उस युवा सोच के कारण ही सम्भव हो सकी जिसका नाम राजीव गाँधी था। देश की रक्षा के लिए खरीदी गईं बोफोर्स तोपों के नाम पर राजीव गाँधी को देश में बहुत अपमान सहना पड़ा किन्तु कारगिल के युद्ध में उनकी यही तोपें ही सर्वाधिक रूप से सफल रहीं।
राजनीति विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ0 आदित्य कुमार का कहना था कि राजीव गाँधी आकर्षक व्यक्तित्व के साथ-साथ आकर्षक स्वभाव के भी मालिक थे। इसी कारण से विश्व समुदाय के भीतर उनकी छवि भरोसेमन्द शासक की थी। यही कारण है कि समूचा विश्व समुदाय उनके व्यक्तित्व और कार्यों पर विश्वास कर भारत को भी महत्व देने में आगे-आगे रहा। देश की समूची राजनैतिक व्यवस्था पर निगाह दौड़ाने पर उनके जैसा सरल और स्पष्टवादी नेता हमें दिखाई नहीं देता है। किसी प्रधानमंत्री का अपनी गलतियाँ बताना ही सिद्ध करता है कि वह देश के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। राजीव गाँधी भले ही किसी मजबूरी के कारण राजनीति में आये हों किन्तु उन्होंने अपने कार्यों और अपने निर्णयों के द्वारा समूचे विश्व को दिखा दिया कि उनके भीतर भी नेतृत्व क्षमता कूट-कूट कर भरी है।
राजनीति विज्ञान के ही सुभाष चन्द्रा ने कहा कि राजीव गाँधी का व्यक्तित्व अपने आपमें बहुत ही ज्यादा आकर्षक था। उनके देहान्त के बाद लगा कि देश ने एक विराट व्यक्तित्व के साथ-साथ सौम्य स्वभाव वाला शासक भी खो दिया है, जिसकी नेतृत्व क्षमता के साथ भारत को विश्वयात्रा के लिए जाना था।
राजनीति विज्ञान की प्रवक्ता डॉ0 नगमा खानम ने राजीव गाँधी के गुणों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि उन्होंने युवाओं को जागरूक करने के लिए ही देशहित की बात की। अत्याधुनिक तकनीक जो भी हम आज अपने आसपास देख रहे हैं उनको हमारे बीच लाने का श्रेय राजीव गाँधी को ही है। उनकी निष्पक्ष और खुली सोच ने देश को विकास के रास्ते पर ले जाना शुरू किया था और तभी वे हमारे बीच से चले गये। यकीनन उनके जैसा शासक हाल के वर्षों की राजनीति में दिखाई भी नहीं देता है।
स्पंदन के सम्पादक डॉ0 कुमारेन्द्र सिंह सेंगर ने राजीव गाँधी के साथ बीते कुछ पलों को याद करते हुए सबके बीच रखा और उनके सौम्य स्वभाव और सरल व्यक्तित्व का चित्र प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि यदि उनके गुणों का एक प्रतिशत भी आज के नेता धारण कर लें तो राजनीति में आ रही गंदगी को आसानी से दूर किया जा सकता है। स्वार्थ की राजनीति से बहुत दूर रह कर राजीव जी ने देश को विकास के रास्ते पर ले जाने का प्रयास किया और इसमें कोई शक नहीं कि यदि उनको दोबारा प्रधानमंत्री के रूप में कार्य करने का अवसर मिल जाता तो वह देश का स्वर्णिम काल होता।
राजनीतिविज्ञान विभाग में प्रवक्ता के रूप में कार्य कर रहे डॉ0 राममुरारी चिरवारिया ने कहा कि राजीव गाँधी युवा थे और उन्होंने युवाओं को ध्यान में रखकर मतदान की आयु 18 वर्ष करने का निर्णय लिया था। उस समय उनके इस निर्णय की काफी आलोचना की गई थी किन्तु बाद में सभी ने उनके इस कदम की सराहना भी की थी। इसके अलावा देशहित में उनके कई कार्यों को भुलाया नहीं जा सकता है।
विभाग के ही रविकान्त ने बताया कि राजीव गाँधी ने अपने आपको कभी भी आम आदमी से अलग हटकर नहीं देखा। उन्होंने योजनओं का क्रियान्वयन हमेशा समाज के अन्तिम व्यक्ति को ध्यान में रखकर करने की सलाह दी। उनकी यह सोच सिद्ध करती है कि सौम्य मुस्कुराहट के पीछे एक सकारात्मक सोच भी काम करती थी।
राजनीति विज्ञान के शोधार्थी रणविजय ने राजीव गाँधी के उदारीकरण के प्रयासों की चर्चा करते हुए बताया कि उनके प्रयासों से मुक्त बाजार की अवधारणा देश में काम कर पाई और विश्व स्तर की कई कम्पनियों ने देश में आना शुरू किया। उदारीकरण के प्रभाववश ही हमें विश्व स्तर के उत्पाद आसानी से उपलब्ध होने लगे।
राजनीति विज्ञान के विद्यार्थी रवि मिश्रा ने कहा कि राजीव गाँधी यकीनन बहुत अच्छे नेताओं में से रहे किन्तु उनके व्यक्तित्व पर भी बोफोर्स कांड का दाग दिखाई देता है। उदारीकरण के साथ ही मँहगाई का आना भी उनकी राजनैतिक दूरदर्शिता को दर्शाता है। हो सकता है इसके पीछे उनका मजबूरी में राजनीति में आना रहा हो।
विचार गोष्ठी के अन्त में विभागाध्यक्ष डॉ0 आदित्य कुमार ने सभी आगन्तुकों और वक्ताओं का आभार व्यक्त किया।
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चित्र साभार गूगल छवियों से लिया गया है।
गोष्ठी की अध्यक्षता रक्षा अध्ययन विभाग के रीडर डॉ0 आर0 के0 निगम ने की। उन्होंने कहा कि राजीव गाँधी देश के विकास के लिए लगातार सचेत रहे। यही कारण है कि उन्होंने अपने सत्ता सँभालते ही देश को विकास के रास्ते पर ले जाने का काम किया। कम्प्यूटर का आना, तकनीक का विकास, उदारीकरण का सफल प्रयोग उस युवा सोच के कारण ही सम्भव हो सकी जिसका नाम राजीव गाँधी था। देश की रक्षा के लिए खरीदी गईं बोफोर्स तोपों के नाम पर राजीव गाँधी को देश में बहुत अपमान सहना पड़ा किन्तु कारगिल के युद्ध में उनकी यही तोपें ही सर्वाधिक रूप से सफल रहीं।
राजनीति विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ0 आदित्य कुमार का कहना था कि राजीव गाँधी आकर्षक व्यक्तित्व के साथ-साथ आकर्षक स्वभाव के भी मालिक थे। इसी कारण से विश्व समुदाय के भीतर उनकी छवि भरोसेमन्द शासक की थी। यही कारण है कि समूचा विश्व समुदाय उनके व्यक्तित्व और कार्यों पर विश्वास कर भारत को भी महत्व देने में आगे-आगे रहा। देश की समूची राजनैतिक व्यवस्था पर निगाह दौड़ाने पर उनके जैसा सरल और स्पष्टवादी नेता हमें दिखाई नहीं देता है। किसी प्रधानमंत्री का अपनी गलतियाँ बताना ही सिद्ध करता है कि वह देश के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। राजीव गाँधी भले ही किसी मजबूरी के कारण राजनीति में आये हों किन्तु उन्होंने अपने कार्यों और अपने निर्णयों के द्वारा समूचे विश्व को दिखा दिया कि उनके भीतर भी नेतृत्व क्षमता कूट-कूट कर भरी है।
राजनीति विज्ञान के ही सुभाष चन्द्रा ने कहा कि राजीव गाँधी का व्यक्तित्व अपने आपमें बहुत ही ज्यादा आकर्षक था। उनके देहान्त के बाद लगा कि देश ने एक विराट व्यक्तित्व के साथ-साथ सौम्य स्वभाव वाला शासक भी खो दिया है, जिसकी नेतृत्व क्षमता के साथ भारत को विश्वयात्रा के लिए जाना था।
राजनीति विज्ञान की प्रवक्ता डॉ0 नगमा खानम ने राजीव गाँधी के गुणों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि उन्होंने युवाओं को जागरूक करने के लिए ही देशहित की बात की। अत्याधुनिक तकनीक जो भी हम आज अपने आसपास देख रहे हैं उनको हमारे बीच लाने का श्रेय राजीव गाँधी को ही है। उनकी निष्पक्ष और खुली सोच ने देश को विकास के रास्ते पर ले जाना शुरू किया था और तभी वे हमारे बीच से चले गये। यकीनन उनके जैसा शासक हाल के वर्षों की राजनीति में दिखाई भी नहीं देता है।
स्पंदन के सम्पादक डॉ0 कुमारेन्द्र सिंह सेंगर ने राजीव गाँधी के साथ बीते कुछ पलों को याद करते हुए सबके बीच रखा और उनके सौम्य स्वभाव और सरल व्यक्तित्व का चित्र प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि यदि उनके गुणों का एक प्रतिशत भी आज के नेता धारण कर लें तो राजनीति में आ रही गंदगी को आसानी से दूर किया जा सकता है। स्वार्थ की राजनीति से बहुत दूर रह कर राजीव जी ने देश को विकास के रास्ते पर ले जाने का प्रयास किया और इसमें कोई शक नहीं कि यदि उनको दोबारा प्रधानमंत्री के रूप में कार्य करने का अवसर मिल जाता तो वह देश का स्वर्णिम काल होता।
राजनीतिविज्ञान विभाग में प्रवक्ता के रूप में कार्य कर रहे डॉ0 राममुरारी चिरवारिया ने कहा कि राजीव गाँधी युवा थे और उन्होंने युवाओं को ध्यान में रखकर मतदान की आयु 18 वर्ष करने का निर्णय लिया था। उस समय उनके इस निर्णय की काफी आलोचना की गई थी किन्तु बाद में सभी ने उनके इस कदम की सराहना भी की थी। इसके अलावा देशहित में उनके कई कार्यों को भुलाया नहीं जा सकता है।
विभाग के ही रविकान्त ने बताया कि राजीव गाँधी ने अपने आपको कभी भी आम आदमी से अलग हटकर नहीं देखा। उन्होंने योजनओं का क्रियान्वयन हमेशा समाज के अन्तिम व्यक्ति को ध्यान में रखकर करने की सलाह दी। उनकी यह सोच सिद्ध करती है कि सौम्य मुस्कुराहट के पीछे एक सकारात्मक सोच भी काम करती थी।
राजनीति विज्ञान के शोधार्थी रणविजय ने राजीव गाँधी के उदारीकरण के प्रयासों की चर्चा करते हुए बताया कि उनके प्रयासों से मुक्त बाजार की अवधारणा देश में काम कर पाई और विश्व स्तर की कई कम्पनियों ने देश में आना शुरू किया। उदारीकरण के प्रभाववश ही हमें विश्व स्तर के उत्पाद आसानी से उपलब्ध होने लगे।
राजनीति विज्ञान के विद्यार्थी रवि मिश्रा ने कहा कि राजीव गाँधी यकीनन बहुत अच्छे नेताओं में से रहे किन्तु उनके व्यक्तित्व पर भी बोफोर्स कांड का दाग दिखाई देता है। उदारीकरण के साथ ही मँहगाई का आना भी उनकी राजनैतिक दूरदर्शिता को दर्शाता है। हो सकता है इसके पीछे उनका मजबूरी में राजनीति में आना रहा हो।
विचार गोष्ठी के अन्त में विभागाध्यक्ष डॉ0 आदित्य कुमार ने सभी आगन्तुकों और वक्ताओं का आभार व्यक्त किया।
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चित्र साभार गूगल छवियों से लिया गया है।
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