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वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग की कार्यशाला संपन्न - दूसरा दिन

दयानन्द वैदिक स्नातकोत्तर महाविद्यालय, उरई द्वारा ‘मानविकी और समाजविज्ञान में तकनीकी शब्दावली की उपयोगिता’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के दूसरे दिन दिनांक 20 जनवरी 2010 को प्रारम्भ हुए तुतीय तकनीकी सत्र में वैज्ञानिक अधिकारी डा0 अवनीश सिंह ने आयोग और उसके विविध क्रियाकलापों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि शब्द निर्माण एक प्रक्रिया है, यह प्रक्रिया एकाएक नहीं होती है। इसके लिए विविध विषय-विशेषज्ञों का आपसी विचार-विमर्श होता है और इसके बाद ही किसी नये शब्द का निर्माण किया जाता है। आयोग इस समय एक परिभाषकोश का निर्माण कर रहा है।
(वैज्ञानिक अधिकारी डा0 अवनीश सिंह)
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ऋषिकेश से विषय-विशेषज्ञ के रूप में कार्यशाला में उपस्थित हुई डा0 पूजा त्यागी ने कहा कि शब्दों की सजगता और चेतना के साथ निर्माण करने की आवश्यकता होती है। शब्दों की गति को समझना बहुत ही आवश्यक होता है। बिना गति को समझे यदि शब्दों का निर्माण किया जाता है तो ऐसी शब्दावली क्लिष्टता पैदा करती है। इस मुश्किल से बचने के लिए आयोग को सरल शब्दों का निर्माण करना चाहिए।
(विषय-विशेषज्ञ पूजा त्यागी)
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इस तकनीकी सत्र की अध्यक्षता कर रहे डा0 राजेन्द्र कुमार पुरवार ने कहा कि शब्दों के नये-नये रूप आने से नये शब्द तो चलन में आ जाते हैं किन्तु बहुत से शब्दों का लोप हो जाता है। आयोग अपना कार्य करता है, इसके साथ ही जनमानस का यह कार्य भी होना चाहिए कि शब्द और संस्कृति को बनाये रखा जाये। इसके अभाव में आज बहुत सी भाषाएँ और संस्कृतियाँ विलुप्त हो चुकी हैं।
(डा0 राजेन्द्र कुमार पुरवार)
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कार्यशाला के चतुर्थ सत्र में कानपुर क्राइस्टचर्च डिग्री कालेज के राजनीति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष, डा0 ए0के0 वर्मा ने तकनीकी शब्दों की उपयोगिता के बारे में बताते हुए कहा कि अनुवाद के समय इन शब्दों की बहुत ही आवश्यकता होती है। इसके साथ साथ शब्दों के द्वारा भाव सम्प्रेषण का कार्य भी होता है। शब्द विचार को सरल और बोधगम्य बनाते हैं, इस दृष्टि से आयोग को सरल शब्दों के निर्माण पर भी जोर देना चाहिए। आयोग बहुत अच्छा कार्य कर रहा है किन्तु इसको अभी आम आदमी से जोड़ पाने में वह विफल रहा है।
(कानपुर क्राइस्टचर्च डिग्री कालेज के डा0 ए0के0 वर्मा)
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इसके अलावा इस तकनीकी सत्र में भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ के राजनीति विज्ञान विभाग के डा0 रिपुसूदन सिंह, दयानन्द वैदिक महाविद्यालय, उरई मनोविज्ञान विभाग के डा0 तारेश भाटिया, लक्ष्मीचरण हुब्बलाल महाविद्यालय, करसान के बी0एड0 विभाग के सलिल तिवारी तथा अध्यक्षता कर रहीं इतिहास विभाग की अध्यक्ष डा0 शारदा अग्रवाल ने भी विचार व्यक्त किये।

समापन सत्र में स्थानीय संयोजक डा0 वीरेन्द्र सिंह यादव ने कार्यशाला की विस्तृत रिपोर्ट सभी के समक्ष रखी। इसके द्वारा उन्होंने आयोग के सामने सुझाव रखे कि कार्यशालाओं का अधिक से अधिक आयोजन किया जाये। इंटरनेट पर भी शब्दावली को डाला जाये जिससे आम आदमी भी आसानी से आयोग की शब्दावली से जुड़ सके। इसके साथ-साथ आयोग द्वारा एक शोध-पत्रिका निकालने का भी सुझाव दिया गया।

आयोग की ओर से आये वैज्ञानिक अधिकारी डा0 ब्रजेश सिंह ने कहा कि यहाँ का माहौल बहुत ही अच्छा लगा और जल्द ही किसी अन्य विषय को लेकर कार्यशाला का आयोजन किया जायेगा। अपने प्रकाशनों के बारे में बताते हुए कहा कि आयोग की ओर से शीघ्र ही अपनी बेव साइट बनाने की दिशा में कार्य चल रहा है। प्रकाशनों को आयोग के द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है।
(वैज्ञानिक अधिकारी डा0 ब्रजेश सिंह)
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समापन-सत्र में मुख्य अतिथि डा0 देवेन्द्र कुमार, विशिष्ट अतिथि डा0 ब्रजेश सिंह, डा0 शिवकुमार चैधरी, अध्यक्ष डा0 हरीमोहन पुरवार, प्राचार्य डा0 अनिल कुमार श्रीवास्तव भी मंचासीन रहे तथा अपने विचार प्रकट किये।

कार्यक्रमों में तुतीय तकनीकी सत्र का संचालन डा0 आर0 के0 गुप्ता ने, चतुर्थ सत्र का संचालन डा0 अनुज भदौरिया ने तथा समापन सत्र का संचालन डा0 अलका रानी पुरवार ने किया।








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