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गाँधी जी की पुण्यतिथि पर विचार गोष्ठी का आयोजन

गाँधी जी की पुण्यतिथि पर विचार गोष्ठी का आयोजन

‘गाँधीजी के विचारों को आज भी प्रासंगिक माना जा सकता है क्योंकि आज भी सम्पूर्ण विश्व को शांति, अहिंसा, प्रेम और भाईचारे की आवश्यकता है। सम्पूर्ण विश्व किसी न किसी रूप में हिंसा, आतंक, अत्याचार का शिकार है। महात्मा गाँधी ने विचारों को मात्र ऊपरी स्तर पर ही प्रसारित नहीं किया था वरन् उन्हें अपने जीवन में आत्मसात् भी किया था।’ उक्त विचार महात्मा गाँधी की पुण्यतिथि पर मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए युवा समाजसेवी और राजनीतिक विश्लेषक सुभाष चन्द्रा ने व्यक्त किये। सामाजिक संस्था दीपशिखा द्वारा ‘महात्मा गाँधी के विचारों की वर्तमान परिवेश में प्रासंगिकता’ विषय पर आयोजित विचार गोष्ठी में सुभाष चन्द्रा ने आगे बोलते हुए कहा कि वर्तमान में जहाँ व्यक्ति स्वार्थ पूर्ति में ही कार्य करने में लगा रहता है वहीं महात्मा गाँधी ने अपने सम्पूर्ण सुखों का त्याग करते हुए न केवल देश के लिए बल्कि देश के बाहर विदेश में भी भारतवंशियों के लिए कार्य किये। उनके कार्यों को आज प्रयोगात्मक रूप दिये जाने की आवश्यकता है साथ ही युवा पीढ़ी को यह समझाना होगा कि तत्कालीन परिस्थितियों में जो विचार गाँधी जी ने दिये वे आज भी प्रासंगिकता रखते हैं।
डी0वी0सी0, उरई हिन्दी विभाग के प्रवक्ता डा0 वीरेन्द्र सिंह यादव ने गाँधी जी के विचारों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में मतभेद होते हैं, गाँधीजी को लेकर भी लोगों में मतभेद की स्थिति है। इसके बाद भी कहा जा सकता है कि उन्होंने अपने जीवन में त्याग और वास्तविकता को अपनाया। गाँधी जी ने देश के सोये लोगों में एक नई चेतना का संचार किया और उन्हें आजादी की लड़ाई को प्रेरित किया। यह बात और है कि उन्होंने अपने शांति और अहिंसा के प्रयासों में कभी भी कमी नहीं होने दी और सदैव इसको आत्मसात किये रहे।
युवा शिक्षाविद् डा0 राजेश पालीवाल ने कहा कि महात्मा गाँधी को एक व्यक्ति के रूप में ही देखा जाना चाहिए। उनके विचारों और कार्यों की बुराई करने वाले उनमें किसी देवत्व का रूप तलाशते हैं और उनके कार्यों के अच्छे बुरे स्वरूप को देखते हैं। महात्मा गाँधी ने अहिंसा, प्रेम और शांति को अपनाने की बात कही थी और इसका अमल वे स्वयं भी ताउम्र करते रहे। यह बात और है कि उनके किन्हीं कार्यों को आज अहिंसात्मक रूप देकर, नकारात्मक रूप देकर गाँधीजी के विचारों को विकृत करने का प्रयास किया जा रहा है जो निन्दनीय है।
बैठक की अध्यक्षता कर रहे डी0वी0सी0, उरई के राजनीति विज्ञान विभागाध्यक्ष डा0 आदित्य कुमार ने कहा कि किसी समग्र रूप में गाँधी जी के विचारों को देखा जाये तो हमें आसानी से उनमें वे सभी विचार देखने को मिलेंगे जो आज भी प्रासंगिकता रखते हैं। होता यह है कि हम गाँधी जी के जीवन से जुड़ी कुछ विवादित घटनाओं का ही उदाहरण लेकर उनके विचारों को गलत सिद्ध करने का प्रयास करते रहते हैं। हम उन बातों की ओर ध्यान ही नहीं देते जो उनके दृढ़ चरित्र की पहचान हैं। देश से बाहर दक्षिण अफ्रीका में भी देश के दबे-कुचले लोगों के लिए संघर्ष, देश लौटने के बाद अपना सर्वस्व छोड़कर देश की आजादी में जुटना, गरीब, दबे, कुचले लोगों की मदद करना आदि वे कार्य हैं जिन्हें हम विस्मृत करते जा रहे हैं। आज देश की राजनीतिक व्यवस्था में गाँधीजी के विचारों की तरह दृढ़ता और आत्मविश्वास की आवश्यकता है।
सामाजिक संस्था दीपशिखा के अध्यक्ष युवा समाजसेवी और साहित्यकार डा0 कुमारेन्द्र सिंह सेंगर ने कहा कि गाँधीजी के विचारों से युवा पीढ़ी को परिचित करवाने की आवश्यकता है। चूँकि वर्तमान युग जिस तरह से स्वार्थपूर्ति का अखाड़ा बनता जा रहा है, ऐसे में आज की युवा पीढ़ी को विश्वास ही नहीं होता होगा कि आज से कई वर्ष पहले गाँधीजी ने अपनी अहिंसा, प्रेम, शांति के द्वारा देश को आजाद कराने में महती भूमिका निभाई।
गोष्ठी के अन्त में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि प्रत्येक माह में किसी एक समकालीन मुद्दे पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया जाया करेगा। जिसमें शहर के तथा बाहर के प्रबृद्धजनों को विचारों के आदान-प्रदान के लिए आमंत्रित किया जाया करेगा। इस विचार गोष्ठी में जयप्रकाश, डा0 ममता, डा0 हर्षेन्द्र सिंह, आशीष गुप्ता, डा0 प्रवीण सिंह जादौन, नन्दराम, अखिलेश कुमार, आदि उपस्थित थे।

1 टिप्पणी:

  1. हमें आपका यह प्रसंग बहूत अच्छा लगा.
    हमें बहूत लोगो को अच्छा लगेगा.
    परंतू केवल अच्छा लगाने से नहीं होगा.
    इसे अपने जीवन में लाना होगा.
    अगर हम १% भी अपने जीवन में अमल करते है तो गाँधी जी का बलिदान अमर रहेगा
    मृत्युंजय
    9811111929

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