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सूचना का अधिकार अधिनियम के पांच वर्ष -- उरई में विचार गोष्ठी

सूचना अधिकार अधिनियम के पांच वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर दिनांक 12 अक्टूबर 2010 को अनुरागिनी संस्था एवं सूचना अधिकार का राष्ट्रीय अभियान के संयोजक डॉ0 डी0 के0 सिंह के द्वारा एक विचार गोष्ठी का आयोजन स्थानीय सिटी सेंटर में किया गया।


गोष्ठी का शुभारम्भ डॉ0 डी0 के0 सिंह द्वारा किया गया। उन्होंने कहा कि इस अधिनियम से आम आदमी को सरकारी तथा निजी विभागों, कार्यालयों की प्रणाली को देखने-समझने का अवसर मिला है। अधिनियम के कारण व्यक्ति को भ्रष्टाचार के खिलाफ मोर्चा खोलने में आसानी हो गई है। प्रदेश में ही नहीं अपितु पूरे देश में बहुत से भ्रष्टाचारों का खुलासा सूचना का अधिकार अधिनियम के कारण सम्भव हुआ है। देखा जाये तो यह अधिनियम आज आम आदमी की ताकत बन कर सामने आया है।

समाजसेवी
एवं सूचना का अधिकार अधिनियम का सकारात्मक रूप से प्रयोग करने वाले रिपुदमन सिंह ने कहा कि आर0टी0आई से न्याय पाने का रास्ता सुलभ हुआ है पर इससे कठिनाईयों का भी सामना करना पड़ा है। इसके पीछे सरकारी तन्त्र का भ्रष्टाचार और कारगुजारियों का उजागर होना रहा है। आवश्यकता इस बात की है कि आरटीआई को लेकर कार्य करने वालों को सतर्क और सक्रिय रहना होगा।

डी
0 वी0 कालेज, उरई के प्रभारी जनसूचना अधिकारी डॉ0 आदित्य कुमार ने कहा कि सूचना का अधिकार वास्तव में बहुत ही अच्छा अधिकार है और इसके द्वारा आम आदमी को वे सारी बातें ज्ञात होने लगीं हैं जो उसे कभी बताई भी नहीं जाती थीं। इस अच्छाई के साथ एक बुराई भी इसके द्वारा आ रही है। बहुत से लोग सूचना अधिकार का दुरुपयोग करने में लगे हैं। वे सूचनाओं की प्राप्ति को केवल आपसी द्वेष के लिए प्रयोग कर रहे हैं। इससे भी जनसूचना अधिकारियों को अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ रहा है।


सूचना अधिकार का राष्ट्रीय अभियान के निदेशक डॉ0 कुमारेन्द्र सिंह सेंगर का कहना था कि सूचना के अधिकार के आने से आम आदमी को भी सरकारी तन्त्र और निजी कार्यालयों की कार्यप्रणाली को जानने-समझने का अवसर मिल गया है। वह अब केवल दस रुपये के शुल्क के द्वारा अपने काम की सूचनाओं को प्राप्त कर सकता है। सूचनाओं को प्राप्त करते समय इस बात का विशेष रूप से रखा जाये कि सूचनाओं को क्यों और किस कारण से मांगा जाना है, इससे सही सूचनाओं को प्राप्त करने में आसानी होगी।

अनुरागिनी
के संयोजक डॉ0 प्रवीण सिंह जादौन ने कहा कि सरकारी तन्त्र हो अथवा निजी संगठन सभी सूचना अधिकार अधिनियम के दायरे में आते हैं। यह कोई आवश्यक नहीं कि वे ही निजी संगठन जो सरकारी अनुदान लेते हैं, सूचना अधिकार के दायरे में आते हैं। इसके दायरे में वे भी निजी संगठन आते हैं जो किसी न किसी शासकीय नियमानुसार बने हैं।


वृक्षबंधु के नाम से प्रसिद्ध जे0 पी0 गुप्ता ने अपने अनुभवों को बताते हुए इस अधिनियम की महत्ता को बताया और इस बात पर जोर दिया कि सभी जन सूचना अधिकारियों को किसी वर्कशॉप के माध्यम से प्रशिक्षित करवाया जाये क्यों कि बहुत से अधिकरियों को अभी इस बारे में सही-सही जानकारी ही नहीं है। इसके लिए उन्होंने एक प्रस्ताव पास कर अधिकारियों के पास भेजने का प्रस्ताव रखा।

गोष्ठी
में डॉ0 वीरेन्द्र सिंह यादव, भूपेन्द्र टॉनी, सुभाष चन्द्रा, डॉ0 रामप्रताप सिंह, विजय चौधरी, राजेन्द्र कुलश्रेष्ठ, डॉ0 अनुज भदौरिया, डॉ0 सुनीता गुप्ता, आनन्द, गिरीश, अमित, मोहित, सलिल तिवारी आदि मौजूद रहे।

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