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सतत जागरूकता लोकतंत्र की सफलता के लिए आवश्यक - डॉ0 आदित्य कुमार

लोकतान्त्रिक व्यवस्था और पर्यावरण पर विचार गोष्ठी
दिनांक - 14-03-2010 स्थान - जालौन
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‘‘लोकतान्त्रिक व्यवस्था किसी भी देश, समाज के सफल संचालन के लिए आवश्यक होती है। इस व्यवस्था में जन-जन को अपनी विचारभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता होने के साथ-साथ शासन-सत्ता के कार्यों का आकलन करने की भी क्षमता होती है। लोकतान्त्रिक प्रणाली के सफल संचालन के लिए आवश्यक है कि किसी भी देश अथवा समाज के नागरिक अपने आपको पूर्णतः जागरूक बनाये रखें।’’ ये विचार सेठ वीरेन्द्र कुमार महाविद्यालय, गुढ़ा, जालौन में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ0 आदित्य कुमार, अध्यक्ष राजनीतिविज्ञान विभाग, डी0वी0 कालेज, उरई ने व्यक्त किये। उ0प्र0 राजनीतिविज्ञान परिषद् के प्रदेश अध्यक्ष डॉ0 आदित्य कुमार ने ‘भारत में लोकतान्त्रिक व्यवस्था’ विषय के अन्तर्गत संविधान, लोकतन्त्र आदि की जानकारी देते हुए कहा कि आजादी के बाद देश को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए ही एक संवैधानिक व्यवस्था का निर्माण किया गया था, उसी व्यवस्था के आधार पर सरकार का, सत्ता का संचालन होता है। लोकतान्त्रिक प्रणाली सभी को समान अवसर देते हुए सभी के विचारों का सम्मान करती है। इस संवैधानिक का दुरुपयोग होने के कारण वर्तमान में युवा पीढ़ी राजनीति को स्वार्थपूर्ति और धन-बल, बाहु-बल के रूप में स्वीकारने लगी है, जो गलत है। डॉ0 आदित्य कुमार ने संविधान में वर्णित नागरिकों के मूल कर्तव्यों को, मौलिक अधिकारों को समझाते हुए कहा कि अधिकार और कर्तव्य हमें कार्य करने की स्वतन्त्रता तो देते ही हैं साथ ही देशहित में कार्य करने के प्रति भी जागरूक करते हैं। विश्व के सबसे बड़े लोकतन्त्र के नागरिक होने के नाते हमारा भी दायित्व बनता है कि हम समूचे विश्व के सामने अपनी लोकतान्त्रिक व्यवस्था को विफल होने से बचायें। उन्होंने छात्र-छात्राओं से संवैधानिक जागरूकता सम्बन्धी जानकारियों का आदान-प्रदान कर उनके सविधान सम्बन्धी ज्ञान को और विस्तार दिया।
गोष्ठी के दूसरे सत्र में ‘पर्यावरण में युवाओं की भूमिका’ विषय पर वनस्पतिविज्ञान विभाग, डी0वी0 कालेज, उरई के डॉ0 आर0 के0 पहारिया ने कहा कि भौतिकतावादी संस्कृति का पोषण करने के कारण हम अपन आसपास के वातावरण को जाने अनजाने खतरे में डाल रहे हैं। हमें इस बात की जानकारी भी होती है कि हमारा एक गलत कदम हमारे पर्यावरण को संकट में डाल सकता है, इसके बाद भी हम स्वयं को इससे रोकते नहीं हैं। छात्र-छात्राओं को पर्यावरण की आवश्यकता के बारे में बताते हुए डॉ0 पहारिया ने आगे बताया कि आज हम देख रहे हैं कि मौसम में एकाएक परिवर्तन आने लगते हैं। गरमी, सरदी और बारिश अब अनियमित होने लगी है। इसका प्रभाव कृषि पर, हमारे खाद्य पदार्थों पर तो पड़ ही रहा है, साथ ही मनुष्यों और जानवरों पर भी इसका प्रभाव नकारात्मक रूप से पड़ रहा है। हमारा प्रयास यह होना चाहिए कि हम अपने घरों में, आसपास में हरे-भरे पेड़-पौधों को लगायें और उनका संरक्षण करें।
इस गोष्ठी में डॉ0 आदित्य कुमार ने पर्यावरण जागरूकता को लेकर एक प्रस्ताव रखा जिसे सभी ने ध्वनिमत से समर्थन प्रदान किया। उनका कहना था कि हम किसी भी कार्यक्रम में, किसी भी उत्सव में उपहार में एक पौधा लगा हुआ गमला देने की परम्परा को शुरू करें। इससे लोगों में पेड़-पौधों के प्रति लगाव बढ़ेगा और उसकी देखभाल के प्रति भी लोग जागरूक होंगे।
सेठ वीरेन्द्र कुमार महाविद्यालय के प्राचार्य डा0 अभयकरन सक्सेना ने कहा कि आज का समय किसी एक विषय पर अटके रहने का नहीं है। हमारा प्रयास हो कि हम अपने आसपास की दैनिक गतिविधियों पर भी ध्यान रखें। किसी भी व्यक्ति के विकास के लिए जितना आवश्यक पर्यावरण का स्वच्छ रहना है उतना ही आवयक है कि राजनैतिक वातावरण भी स्वच्छ रहे। इन दोनों की स्वच्छता के लिए हमारा जागरूक होना आवश्यक है। हमें ध्यान रखना चाहिए कि हमारा कोई कदम इन दोनों क्षेत्रों में से किसी भी क्षेत्र को हानि न पहुँचाये।
सेठ वीरेन्द्र कुमार महाविद्यालय की प्रबन्धकारिणी के अध्यक्ष और आज के कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए श्री नितिन मित्तल ने कहा कि यह बहुत ही सुखद संयोग है कि आज दो-दो महत्वपूर्ण विषयों पर हमारे छात्र-छात्राओं को तथा हम सभी को जानकारी मिली। ज्ञान-विज्ञान के वर्तमान युग में हमें अपने अधिकारों की, कर्तव्यों की जानकारी अवश्य ही होनी चाहिए। यह सभी को ज्ञात होना चाहिए कि संविधान ने हमें कौन-कौन सी सुविधाएँ प्रदान कर रखीं हैं, हम कैसे अपने संवैधानिक अधिकारों का उपयोग करें। साथ ही हमारा प्रयास होना चाहिए कि हमारे किसी भी कदम से पर्यावरण को संकट न पहुँचे। कार्यक्रम के अन्त में अध्यक्ष नितिन मित्तल ने डॉ0 आदित्य कुमार तथा डॉ0 आर0के0 पहारिया को स्मृति भेंट देकर सम्मानित किया।
इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राध्यापकों में अनुज श्रीवास्तव-उप-प्रधानाचार्य, डा0 गणेशानन्द, डा0 सीता जड़िया, डा0 राकेश पाठक, प्रो0 अवनीश द्विवेदी, श्रीकृष्ण कोष्ठा, प्रियंका अग्रवाल, प्रिया अग्रवाल, स्वाति कौशल, अपर्णा सक्सेना, सौरभ गुप्ता, आचार्यजी, अरविन्द द्विवेदी आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन योगेश सिंह ने किया।

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