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डा. बिधान चंद्र राय -एक विलक्षण व्यक्तित्व

  आज सारे देश में  ' राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस   (National Doctors day)' मनाया जा रहा है. यह दिवस  देश के जाने-  माने चिकित्सक और पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री  भारतरत्न डॉ. बिधान चंद्र रॉय की स्मृति में मनाया जाता है।   भारत में केंद्र सरकार  ने1991 में  1  जुलाई को 'नेशनल डॉक्टर्स डे ' मनाने का निर्णय किया था. उसी समय से भारत में 1 जुलाई (उनके जन्मदिन) को 'राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस' के रूप में मनाया जाता है
        आज  डॉ॰ बिधान चंद्र राय का की जयंती एवं पुण्यतिथि दोनों है. वे एक प्रसिद्ध चिकित्सक,  स्वाधीनता सेनानी एवं समाजसेवी थे. 
         डा.  राय का जन्म  पटना (बिहार) जिले के बांकीपुर गांव में हुआ था। उनके पिता श्री प्रकाश चंद्र राय डिप्टी कलेक्टर के पद पर  थे। उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद कलकत्ता मेडिकल कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की।1905 में जब बंगाल का विभाजन हो रहा था जब बिधान चंद्र रॉय कलकत्ता यूनिवर्सिटी में अध्ययन कर रहे थे। पढ़ाई पूरी करने के बाद वे स्वाधीनता आंदोलन से जुड़े और बंगाल की राजनीति में सक्रिय हुये.। इस दौरान  वे  महात्मा गांधी जी के व्यक्तिगत  चिकित्सक रहे। वे 1922 में कलकत्ता 'मेडिकल जरनल'  के संपादक  एवं बोर्ड के सदस्य भी बने। 
         उन्होंने  आज़ादी के संघर्ष में भी सक्रिय भाग लिया. भारतीय स्वतंत्रता सेनानी तथा राष्ट्रीय कांग्रेस के महत्वपूर्ण नेता एवं गांधीवादी थे। उन्होंने 1926 को अपना पहला राजनीतिक भाषण दिया तथा 1928 में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के सदस्य चुने गए। उन्हें 'बंगाल का मसीहा' भी कहा जाता है। 
          डॉ॰ बिधान चंद्र राय ने भारत की आजादी के बाद अपना पूरा जीवन चिकित्सा सेवा को समर्पित कर दिया। वे 1948 से वे 14  वर्षों तक पश्चिम बंगाल के  मुख्यमंत्री के रूप में चौदह वर्षों तक उसी पद पर रहे। डॉ. रॉय ने बंगाल में कई संस्थानों और 5 शहरों की स्थापना की। इनमें दुर्गापुर, कल्यानी, अशोकनगर, बिधान नगर और हाबरा शामिल है।
          1933 में ‘आत्मशुद्धि’ उपवास के दौरान गांधी जी ने दवायें लेने से मना कर दिया था। डा.बिधान चंद्र राय बापू से मिले और उनसे दवायें लेने का आग्रह किया. गाँधी जी उनसे बोले," मैं तुम्हारी दवाएं क्यों लूं? क्या तुमने हमारे देश के 40 करोड़ लोगों का मुफ्त इलाज किया है?" इस पर डा. राय ने उतर दिया," नहीं बापू! मैं सभी मरीजों का मुफ्त इलाज नहीं कर सकता। मैं यहां मोहनदास करमचंद गांधी को ठीक करने नहीं आया हूं, मैं उन्हें ठीक करने आया हूं जो मेरे देश के 40 करोड़ लोगों के प्रतिनिधि हैं।इस पर गांधी जी ने उनसे मजाक करते हुए कहा, तुम मुझसे थर्ड क्लास वकील की तरह बहस कर रहे हो।"
           डॉ. बिधान चंद्र रॉय देश के उन डॉक्टर्स में से एक थे जिनकी हर सलाह का पालन पंडित जवाहर लाल नेहरू भी पूरी सावधानी के साथ करते थे। इसकी चर्चा नेहरू जी ने ने 'वॉशिंगटन टाइम्स ' को 1962 में दिए एक इंटरव्यू में की थी. नेहरू जी के इलाज के लिए डॉक्टर्स का एक पैनल बनाया गया था, जिसमें रॉय शामिल थे। इंटरव्यू के बाद अखबार ने लिखा था - " डा. रॉय इतने  महत्वपूर्ण हैं कि नेहरू जी भी उनके प्रत्येक  मेडिकल निर्देश का पालन करते हैं."
           डॉ॰ बिधान चंद्र राय का 1 जुलाई 1962 को ह्रदयगति रुकने से निधन हो गया। सन् 1961 में उन्हें 'भारत रत्न' से सम्मनित किया गया। सन् 1967 में दिल्ली में उनके सम्मान में डॉ. बीसी राय स्मारक पुस्तकालय की स्थापना की भ‍ी गई। 
             ऐसे इतिहास पुरुष को विनम्र श्रद्धांजलि.

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