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बस्ती बड़ी अजीब यहाँ की


        जैसी आशा की जा रही थी, आज श्री लालू यादव को देवधर राजकोषागार मामले में सी सजा का ऐलान हो गया. कोर्ट ने साड़े तीन साल की सजा व पॉच लाख जुर्माने की सजा सुना दी.
         राजद को भी ऐसा पूर्वानुमान था ही,अत: ऐसा माहौल बनाया गया कि जैसे लालू जी शहीद होने जा रहे हैं और सिस्टम के द्वारा उन्हें पिछड़े वर्ग का  होने की सजा दी जा रही है. लालू ने भी समर्थकों से गरीबों के लिये हमेशा संघर्ष करते रहने की भावुक अपील की.
           हमारे देश में राजनीति कहॉ जा रही है? दोषी शर्मिंदा होने की जगह सीनाजोरी दिखा रहे हैं.यानी वे फिर आये तो पुन: इसी रास्ते पर चलेंगें. हमारे यहॉ समर्थक तो व्यक्ति पूजा में अंधे होते हैं,चाहे वे किसी दल के हों. 
          आज के दृश्यों को देख कर मुझे सुकवि विनोद निगम की कविता की पंक्तियाँ याद आ गयीं-
      " बस्ती बड़ी अजीब यहॉ की,
           न्यारी है तहज़ीब यहाँ  की,
              जिनके सारे काम गलत हैं,
                 सुबह गलत है ,शाम गलत है,
                     उनको लोग नमन  करते  हैं."

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